फनि सों कफनी पहरावत हैं फनि सों कफनी पहरावत हैं
यह ज़िन्दगी यह ज़िन्दगी
आओ हम लें ये वचन आज सब ऋतु मन में छेड़ें बसंत राग। आओ हम लें ये वचन आज सब ऋतु मन में छेड़ें बसंत राग।
दो पैर, इक दिल, दो आँखें दीं हैं सबको हाँ ! लेकिन दो हाथों से बन जाते महान। दो पैर, इक दिल, दो आँखें दीं हैं सबको हाँ ! लेकिन दो हाथों से बन जाते महान।
गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो। गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो।
कोई भूलता ही नहीं और किसी को याद ही नहीं आती ! कोई भूलता ही नहीं और किसी को याद ही नहीं आती !